कैद की मुश्किल में है

इस अँतिम घड़ी में, मेरी यह इच्छा हो रही है कि मैं उन कविताओं में से भी चन्द का यहां उल्लेख कर दूं, जो कि मुझे प्रिय मालूम होती है और मैंने यथासमय कंठस्थ की थीं यह नवयुवकों को प्रेरणा प्रदान करे, प्रभु से यही प्रार्थना है !
रामप्रसाद बिस्मिल

 

पूछते क्या हो कि क्या अरमां हमारे दिल में है ।

कुछ वतन की याद में आहे दमें बिस्मिल में है ।।

साकियाने बाग आलम सब रिहाई पा चुके ।

एक हमी आफत के मारे कैद की मुश्किल में है ।।

देश वालों दामने हिम्मत कभी छोड़ों नहीं ।

इम्तहाने इ्श्क की हम पहिली ही मंजिल में हैं ।।

आ ही पहुचेगी किनारे किश्ती ए भारत कभी ।

कोई दम में देखना हम दामने साहिल में है ।।

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दिल खोल कर मातम करें ।
न किसी के दिल का करार हूं
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यही बाकी निशां होगा
आंसु बहाना है मना
बिन स्वांती न अघाहिं हंस मोती ही खावे ।
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उनका पयाम आया तो क्या
जितना सताना हो सता ले
नकशे पर है क्या मिटाता
मुझ आशिके नाकाम की
तेरी जय हो विजय हो
बिन स्वांती न अघाहिं हंस मोती ही खावे ।
ऎ मादरे हिन्द न हो ग़मगीन

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